उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित बग्वाली पोखर, एक ऐसा स्थान है जहां परंपरा और संस्कृति का अद्भुत संगम होता है। यह स्थान न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, बल्कि यहां की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत भी इसे खास बनाती है।
दीपावली के बाद आने वाले भैया दूज के पावन अवसर पर यहां एक विशेष मेला लगता है। इस दौरान भंडरगांव के थोकदार ओढ़ा भेंट करने की रस्म अदा करते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और आज भी स्थानीय लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है। इसके अलावा, यहां पहले एक पोखर हुआ करता था जहां परंपरागत जल युद्ध होता था, जिसे जल बग्वाल कहा जाता था। हालांकि अब यह परंपरा समाप्त हो चुकी है, लेकिन इसकी यादें आज भी लोगों के मन में जिंदा हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान कुछ समय यहां बिताया था। इस कारण से भी इस स्थान का धार्मिक महत्व बढ़ जाता है। आजकल बग्वाली पोखर एक मैदान का रूप ले चुका है, लेकिन इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व में कोई कमी नहीं आई है। दीपावली के आसपास लगने वाला मेला लोक संगीत, नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से सज्जित होता है, जो यहां आने वाले पर्यटकों को एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है।
यदि आप उत्तराखंड की यात्रा कर रहे हैं, तो बग्वाली पोखर जरूर देखें। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक समृद्धि आपको मंत्रमुग्ध कर दे
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