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शिवार्चन |
श्रावण यानी.ज्येष्ठ माह (जेठ) के बाद आने वाला यह माह जिसका एक अलग ही महत्व है यहां तक कि यह भी कहा जाता है कि सावन का महीना यानी भगवान भोले शंकर का प्रिय महीना इस महीने में शिव भक्त व लोग अपने अपने घरों में एक खास तरीके की पूजा रखो आते हैं जिसे हम शिवार्चन कहते हैं असल में हम इस पूजा की बारे में बात करें ये पूजा भगवान शिव जी
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108 शिवलिंग व 8 गण |
के लिए किया जाता है और इसी के साथ इस पूजा में 108 शिवलिंग व 8 गणों की व नंदी जी और नाग देवता की पूजा की जाती है पूजा के अनुसार 108 शिवलिंग व 8 गणो व नंदी जी और नाग देवता को शुद्ध मिट्टी से इनकी मूर्ति बनाई जाती है। और पंचामृत से शुद्ध की जाती है।फिर इनकी पूजा की जाती है जो कि इस तस्वीर में मैं दिखाई जा रही है........
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सावन के महीने से जुड़ी कई कथाएँ प्रचलित हैं। उनमे से एक कथा के मुताबिक जब सनतकुमारों ने भगवान महादेव से सावन महिना प्रिय होने का कारण पूछा तब भोलेनाथ ने बताया की माता पार्वती ने अपने युवावस्था के सावन महीने मे निराहार रहकर शिव जी को पाने के लिए कठोर तप किया जिससे शिव जी प्रसन्न हुए और उन्होने माता पार्वती से विवाह किया।
कुछ कथाओं में वर्णित है कि इसी श्रावण के महीने में समुद्र मंथन हुआ था
इस मंथन के बाद जो विष निकला, उसे भगवान शिव ने पीकर सृष्टि की रक्षा की थी। इसी कारण से श्रावन का महीना हम लोग पूरी तरह से भगवान शिव को अर्पित कर देते हैं और उनकी आराधना करते हैं और इसीलिए यह भगवान शिव का प्रिय महीना होता हैभगवान शिव का अर्थ
जीवन के बहुत गहन समझ के साथ हमने उन ऊर्जा और ध्वनि के शब्द तक पहुंचे हैं जिसका नाम शिव है। इसका मानवीय कारण इसकी कहानियों आपको और हमें एक आयाम तक और आयामों के बारे में समझाते हैं इस ध्वनि का आप के ऊपर असाधारण असर पड़ सकता है यदि आप अच्छी शक्ती ग्रहण करने के लायक हैं तो आप यह समझे कि यह शिव ध्वनि आपके लिए एक बहुत बड़ा विस्फोटक के काम करेगा सिर्फ एक उच्चारण से ये आपकी भीतर शांति का आभास करता है।और और आपके मन को हल्का करता है
इस ध्वनि मे इतनी शक्ति है या कहे कि विज्ञान है। जिसे हम अपने भीतर गहन अनुभव से समझत है। और बहुत गहराई से देखा हैं। शिव में (शि ) शब्द या ध्वनि का अर्थ मूल रूप से शक्ति व उर्जा होता है। भारतीय जीवन शैली में हमने हमेशा ही देखते आ रहे हैं कि स्त्री को शक्ति के रूप में देखा जाता है और एक खास बात तो यह है कि अंग्रेजी में भी स्त्री के लिए (she) शब्द का प्रयोग किया जाता है। शि का मूल अर्थ होता है। शक्ति व ऊर्जा यदि आप सिर्फ (शि) का बहुत अधिक जाप करते हो तो आपको यह ध्वनि पूरी तरह से असंतुलित कर देता है इसलिए इस मंत्र को मंद करने के लिए और संतुलित बनाए रखने के लिए (व) शब्द का प्रयोग किया गया अगर हम व शब्द को देखे तो यह शब्द को वाम से लिया गया है। जिसका अर्थ प्रवीणता होता है। (शि) (व) शब्द मैं एक अंश उसमें ऊर्जा देता है और दूसरा उसे संतुलित करता है या कहें कि नियंत्रण करता है। दिशाहीन ऊर्जा कभी भी लाभ नहीं देता यह सिर्फ हमेशा विनाशकारी होता है किसी लिए इस मंत्र को संतुलित किया गया। जब भी हम शिव बोलते हैं तो हमें एक खास तरीके की ऊर्जा का अनुभव होता है। और वह एक खास दिशा में ले जाती है और हमारी मन को शांत करती है यही शिव कहलाता है
Boht khoob
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