Union Budget 2023-24 Explained Live Updates: Finance Minister Nirmala Sitharaman presented her fifth Budget speech in Parliament on Wednesday. Here are the highlights, key points and takeaways from the Budget|
Union Budget 2023-24 Explained Live Updates: Finance Minister Nirmala Sitharaman presented her fifth Budget speech in Parliament on Wednesday. Here are the highlights, key points and takeaways from the Budget.....
आपकी मेहनत का पैसा सरकार वेस्ट करती है, आपके टैक्स का पैसा नेता लोग कहा उड़ाते हैं, इतने सारे अमीर लोग होने के बावजूद भारत में इतनी गरीबी क्यों है? सज्जन को क्या तकलीफ है भाई आई ऐम शुर की। कभी ना कभी ये सारे सवाल आपके दिमाग में आये ही होंगे। लेकिन आज एक ऐसा दिन है जहाँ देश का हर एक इंसान इन सारे सवालों के जवाब दे सकता है। सिर्फ एक डॉक्यूमेंट पढ़कर ये हैं भारत का बजेट। ये हमारी इकॉनमी के लिए साल का सबसे इम्पोर्टेन्ट दिन होता है लेकिन हम में से कई लोगों को बजट कॉम्प्लिकेटेड लगता है, क्योंकि हमें तो स्कूल में ये सिखाया ही नहीं चलिए
आज बजट को आसान बनाते हैं। समझते हैं कि भारत का बजट बनता कैसे है और इससे हमें क्या फर्क पड़ता..?बहुत हेल्प होती है। चैपटर वन बजट बनता कैसे है? बेसिकली बजट में तीन पॉइंट्स होते हैं। भारत कितना पैसा कमाने वाला है, भारत कितना पैसा स्पेंड करने वाला है और आने वाले साल में यानी एप्रिल 2023 से लेकर मार्च 2024 तक हमारा फोकस कहाँ होने वाला है? भारत को बेहतर करने के लिए हम क्या करने वाले हैं? जस्टिन तीन पॉइंट्स को याद रखिए इनका एक्सप्लेनेशन हम बाद में देंगे। ये सवाल लगते सिंपल है, लेकिन इनके जवाब प्रिपेर करने के लिए छे महीने लगते हैं। इस साल के बजट का काम पिछले साल के ऑगस्ट में ही शुरू हो गया था। सबसे पहले फाइनांस मिनिस्ट्री एक सर्क्युलर निकलती है और बाकी सारे मिनिस्ट्रीज को एक एस्टीमेट देने के लिए कहती हैं
कि आने वाले साल में आपको कितने पैसे लगेंगे। ये सारे मिनिस्टर्स एप्रिल से लेकर अगस्त तक अपने खर्चे देखती है। उसमें आने वाले साल में होने वाले एक्स्ट्रा प्रोजेक्ट्स को लगने वाले पैसे ऐड कर दिए और ये एस्टीमेट फाइनैंस मिनिस्ट्री को भेजते हैं। फाइनैंस मिनिस्ट्री भी एक एस्टीमेट निकलती है कि अगले साल में जीडीपी कितना ग्रो होना चाहिए। फिर ये दो फिगर्स टॉप ऑफिशियल्स तक पहुंचते हैं और अप्रूवल मिलने के बाद बजट बनाने का काम शुरू होता है। वैसे देखा जाये तो ये प्रोसेसर एक महीने में भी निपटाई जा सकती है, लेकिन हमारी फाइनांस मिनिस्ट्री अलग अलग स्टेकहोल्डर्स को कॉन्सर्ट करती है।
जैसे की बिज़नेस इस ट्रेड बॉडी स्पा में यूनियन्स। वो उनके सजेशन्स कंसिडर करते हैं और फिर ही फाइनल बजट बनता है। सबसे में फाइनैंस मिनिस्टर और प्राइम मिनिस्टर डिस्कस करके एक फाइनल बजट बनाते हैं और ये बजट डॉक्यूमेंट फाइनल होने के बाद हलवा बनाते है। लिटरल्ली हलवा बनाते हैं। ये हलवा फाइनैंस मिनिस्ट्री के अलग अलग मेंबर्स में डिस्ट्रीब्यूट होता है। ये डॉक्यूमेंट 1। फेब्रुअरी को पार्लमेंट में प्रेज़ेंट होता है और उससे पहले कॉन्फिडैंशल होता है।
अगर पूरा देश अपना पैसा कैसे स्पेंड करने वाला है? ये खबर मार्केट में फैल गई तो मार्केट में तुम उन्हीं एरियाज में इन्वेस्ट करेंगे जहाँ प्रॉफिट के चान्सेस ज्यादा है। मार्केट में ये इन्फॉर्मेशन लीक होना देश के लिए डेनजरस हो सकता है। इसीलिए जिन लोगों ने बजट पे काम किया है उस बजट डिपार्ट्मेन्ट को लॉक किया जाता है और एक बार बजट प्रिज़न हो जाये फिर ही उन्हें बाहर निकालने की परमिशन मिलती है बजेटप रिज़ल्ट कैसे होता।है।
हर साल 1 फरवरी को बजट पार्लमेंट में प्रिंट होता है लेकिन उससे 1 दिन पहले भारत की हो क्या रहा है? पिछले साल भारत की इकॉनमी ने कैसे परफॉर्म किया? ये बातें इकोनॉमिक सर्वे में लोगों के सामने रखी जाती है। यहाँ पिछले साल इन्फ्लेशन कितना हुआ? फॉरेन ट्रेड के फिगर्स क्या थे, हमने कितना लोन लिया, ये बातें लोगों को बताई जाती है। ये इकोनॉमिक सर्वे आप यहाँ ऐक्सेस कर सकते हैं।
एक को हमारी फाइनैंस मिनिस्टर पार्लियामेंट में बजट प्रेसेंट करती है। इस बजट के दो पार्ट्स होते है पहला पार्ट होता है बजट स्पीच और अनाउन्समेंट और दूसरा पार्ट होता है अकाउन्ट्स। अनाउन्समेंट में भारत का रोडमैप अनाउंस होता है। ये एक जेनरल डायरेक्शन होती हैं जीस डायरेक्शन में भारत की पॉलिसी बनेगी दो टाइप के अनाउन्समेंट होता है। एक होता है जनरल और दूसरे होते हैं स्पेसिफिक फॉर एग्जाम्पल लै स्टिर भारत में सारे गांव में ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्शन डालने का वादा किया था। भारतनेट प्रोजेक्ट के थ्रू ब्रॉड्बैन्ड केबल बिछाने का काम शुरू हो चुका है और भारत चाहता है की 2025 तक हर गांव में ब्रॉडबैंड इनटरनेट पहुँच जाए।
भारत सोलर पावर में एक लीडर बनना चाहता है और 2030 तक 280 गीगावॉट एनर्जी सोलर एनर्जी से बनाना चाहता है। इसके लिए भारत ने ₹19,500 लास्ट ईयर के बजट में ऐडिशन अली अलॉट किए। बजट प्रेजेंटेशन के दूसरे पार्ट में हम अकाउंट्स की बात करते हैं और यही वो हिस्सा होता है जिसपर हम सब की नजर होती है। क्या...?टैक्स कम हुए, क्या हमें टैक्स बचाने के और तरीके मिले? ये सारे डिटेल्स फाइनांस मिनिस्टर के स्पीच में होते।
है। झपट ओवन में हमने दो काफी इम्पोर्टेन्ट सवाल पूछे थे कि भारत कितना पैसा कमाने वाला है और भारत कितना पैसा स्पेंड करने वाला है। इन दो सवालों का इम्पैक्ट आप पर और मुझ पर होता है क्योंकि इन्हीं की वजह से हमारे टैक्स बनता है। अकाउंट्स में हमारे इन्हीं सवालों पर बेस्ट तीन डॉक्यूमेंट्स बनता है रिसीव बजट एक्सपेंडिचर बजेट डिमान्ड फॉर ग्रांट्स ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट इन पॉइंट्स को समझने से पहले एक कॉन्सेप्ट क्लियर कर लेते है की कैपिटल और रेवेन्यू में डिफरेन्स क्या है? अगर आपने कॉलेज में अकाउंट्स पढ़ा नहीं होगा तो
शायद आपको ये टर्म सुनने में डिफिकल्ट लगते होंगे लेकिन एग्ज़ैम्पल्स के थ्रू समझेंगे तो ऐक्चूअली ये टर्म्स काफी सिंपल है। कैपिटल यानी वन टाइम। फिर वो कैपिटल एक्स्पेन्स होगा तो वनटाइम होने वाला एक्स्पेन्स या कैपिटल रिसीट होगा तो वनटाइम होने वाला रिसीप्ट सपोज़ मुंबई में एक नया एअरपोर्ट बन रहा है तो एअरपोर्ट बनाने के लिए होने वाला खर्चा एक ही बार होगा। राइट तो वो कैपिटल एक्स्पेन्स है सिमिलरली अगर हम जैसे पाकिस्तान ले रहा है, वैसे लोन लेते हैं तो वो लोन एक ही बार आएगा। ऐसा तो नहीं होगा ना की हर साल लोन आते ही जा रहा है तो ये कैपिटल रिसीट है।
किसी का ऑपोजिट है। रेवेन्यू रेवेन्यू यानी इलेक्ट्रिसिटी बिल हर महीने भरना पड़ता है। पिछले महीने का बिल भरा फिर भी इस महीने का एक नया बिल आने वाला है। वैसे ही गवर्नमेंट के वो सारे एक्स्पेन्स जो एक रेकरिंग बेसिस पे होने वाले है वो रेवेन्यू एक्स्पेन्सस होते हैं। इसका सबसे अच्छा एग्जाम्पल है सैलरी ज़ सिमिलरली हर साल सरकार टैक्स के तौर पर पैसे कमाती हैं। ये उनके लिए एक रेकरिंग इनकम है। यानी ये है रेवेन्यू रसीद। अब ये बात आपको क्लियर हो गई। अब वापस आता है उन तीन पॉइंट्स पर रिसीव बजट एक्सपेंडिचर बजट डिमांड्स फॉर ग्रांट्स ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट ऋषि बजट में एक पूरी की पूरी लिस्ट निकलती है कि आने वाले साल में देश को कितना पैसा कहाँ कहाँ से आना चाहिए। इसमें इनकम टैक्स, जीएसटी और कस्टम ड्यूटी और पेनल्टीज़ और लोन्स और ग्रान्ट शामिल होता है।
अब एक सेकंड वीडियो पॉज़ कीजिए और खुद को पूछिये कि इन चारों में से कैपिटल रिसीट्स कौन से है और रेवेन्यू रिसीट्स कौन से?पहले तीन रेवेन्यू रिसीट्स है और लास्ट वाली कैपिटल रिसीट्स सेकंड पॉइंट है। एक्सपेंडिचर बजट जहाँ फाइनैंशल ईयर 202324 में पैसा कहाँ कहाँ खर्च होने वाला है, इसका प्लैन प्रेजेन्ट होता है, ये आप यहाँ पर ऐक्सेस कर सकते है। थर्ड पड़ने ये प्रेसेंट होता है की किस मिनिस्ट्री ने किस काम के लिए कितने पैसे मांगे? मिनिस्ट्री ऑफ कन्स्यूमर अफेयर्स, फूड ऐंड पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन गरीबों को एक या ₹2 में अनाज डिस्ट्रीब्यूट करते हैं। अब ये अनाज एम एस पी पे खरीदा जाता है और डिस्ट्रीब्यूट सिर्फ एक या ₹2 में होता है। यानी टैक्सपेयर्स का पैसा दो बार खर्च होता है।
अगले साल में गवर्नमेंट 80,00,00,000 लोगों को फ्री में अनाज देगी। इस मिनिस्ट्री ने इस साल 2,30,000 करोड़ मांगे और उन्हें 2,05,000 करोड़ अलोकेटहुए देखो बॉस भारत में पैसे लिमिटेड होते हैं तो हर मिनिस्ट्री में एक कॉम्पिटिशन रहती है की कितना पैसा कहाँ कहाँ अलोकेट होना?
चाहिए। अब आप ने समझा कि बजट होता क्या है? इस बजट के सारे टैक्स वाले अनाउंसमेंट से फाइनान्स बिल बनता है और ये बिल पार्लियामेंट में पास होने पर एक ऐक्ट बनता है। सरकार पार्लमेंट के परमिशन के बगैर आपका पैसा यूज़ नहीं कर सकती। सरकार को पार्लमेंट का अप्रूवल लगता है जो उन्हें अप्रोप्रिएशन बिल के थ्रू मिलता है। इस बिल से पैसे हर एक मिनिस्ट्री को दिए जाते हैं, चैपटर थ्री बजट इम्पोर्टेन्ट क्यों है? हम हमेशा सोचते है की अरे मैं तो टैक्स पे करता हूँ, इनकम टैक्स भी पे करता हूँ और जीएसटी भी तो इस पैसे का होता क्या है? अच्छी सड़कें क्यों नहीं बनती? प्रॉब्लम्स फिक्स क्यों नहीं होते, यह समझने के लिए बजट एक एक्सलेंट सोर्स होता है, क्योंकि इससे हमें पता चलता है कि सबसे ज्यादा पैसा कहाँ खर्च हो रहा है। भारत एक डेफिसिट बजट बनाता है। यानी हमारे एक्स्पेन्सस हमारे इनकम से ज्यादा है और ये गैप सरकार लोन लेकर फील करती है और इस लोन पर हर साल हमें इन्ट्रेस्ट पे करना पड़ता। यानी इतना सारा टैक्स देने के बाद भी भारत के पास जितना चाहिए उतना पैसा नहीं होता। हमारा पैसा जाता कहाँ हैं? चलिए हमारे बजट तो ज़रा गौर से देखते हैं और समझते हैं कि हमारी मेहनत का पैसा ज्यादा कहाँ हैं? चलिए यूनियन बजट के अकाउंट्स देखते।
यूनियन बजट के अकाउंट्स देखते है, रिसीव बजट देखते है यानी अगले 1 साल में हम कितने पैसे कमाएंगे? आसपास के रसीद बजट हम टैक्स के थ्रू रूपीस 33,00,000 क्रोर कमाएंगे, इसमें से 10,00,000 करोड़ स्टेटस में डिस्ट्रीब्यूट होंगे ताकि स्टेट सपने अलग अलग प्रोजेक्ट्स कर पाए। कुल मिलाकर सेंटर के पास टैक्स रेवेन्यू रूपीस 23.3,00,000 क्रोर आयेंगे। ऐसा केंद्र सरकार एस्टीमेट करती है। नॉन टैक्स रेवेन्यू 3,00,000 करोड़ है तो इन टोटल रूपीस 26,00,000 करोड़ हम खर्च कर सकते हैं। अब बजट में निर्मला माम् ने कहा कि हमारे एक्स्पेन्सस 45,00,000 क्रॉस होंगे।
इतना तो रेवेन्यू हमारे पास है नहीं तो जो बच जाता है यानी 19,00,000 क्रॉस हम बौरों करेंगे। अब एक्सपेंडिचर बजट की ओर ध्यान देते हैं। सबसे हाइएस्ट ऐलोकेशन मिनिस्ट्री ऑफ फाइनैंस को है और इसमें से इंट्रेस्ट पेमेंट और लोन्स काफी हाइ फिगर हैं। ऑफ रूपीस 10,79,000 क्रोर्स सेकंड नंबर पर आता है मिनिस्ट्री ऑफ डिफेन्स विथ रूपीस 5,93,000 क्रोर्स। इसमें आर्मी, नेवी, एयर फोर्स तीनो इन्क्लूडेड है। यहाँ पर कैपिटल आउटले मतलब वेपन अपग्रेड, न्यू इक्विपमेंट एक्स्ट्रा होता है ऐंड अगर आप गौर करें तो एक सिग्नीफिकेंट अमाउंट हम डिफेन्स पेंशनर्स के थ्रू देते हैं।
नेक्स्ट इस मिनिस्ट्री ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स ऐंड पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन, जो एम एस पे फूड ग्रेन्स रॉक योर करके पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन में देती है। एक और इम्पोर्टेन्ट मिनिस्ट्री है मिनिस्ट्री ऑफ फ़र्टिलाइज़र्स क्योंकि हम फर्टलाइज़र पर भी सब्सिडी देते हैं जो इस मिनिस्ट्री के रूपीस 1,75,000 क्रोर्स में रिफ्लेक्ट होता है। होम मिनिस्ट्री की तरफ ध्यान देते हैं। इसके अंदर सारे यूनियन टेरिटोरी ज़ैन पुलिस आते हैं तो आप देख सकते हैं की हर यूटी के लिए एक अमाउंट सैंक्शन किया गया है। इस बजट में दो मिनिस्ट्रीज को काफी हाइवै लोकेशन मिली। वो है रेल वेज़ ऐंड रोड वेज़ दोनों को कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए हाइवै लोकेशन मिला। वन गुड थिंग अबाउट दिस बजेट। इसकी हमारा कैपिटल एक्स मैनेजर बहुत बड़ा है। जब हम इनफ्रास्ट्रक्चर के ऊपर खर्चा करते हैं तो उसके रिटर्न समय ज्यादा मिलते हैं। ओवरऑल लॉन्ग पीरियड मिलते हैं। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि हर रूपीस वन खर्चा करने पर हमें ₹2.5 रिटर्न्स मिलते हैं। दैट स्वाइ अगर हमें देश को आगे बढ़ाना है तो हमें कैपिटल एक्सपेंडिचर ज्यादा करना होगा और रेवेन्यू एक्सपेंडिचर जितना हो सके उतना कम करना होगा। चैपटर फाइव कन्क्लूजन भारत का मेन प्रॉब्लम यही है कि भारत का टैक्स पेइंग बेस काफी छोटा। या बार टैक्स पे करने की होती है तो भारत दुनिया में 116 ट्रैन करता है। भारत के सिर्फ 2% लोग टैक्स पे करता है। ये नंबर चाइना में 15% और अमेरिका में 80% यही रीज़न है की ये देश फास्ट तरक्की कर सकते हैं। यानी कमाने वाले हाथ बहुत कम है और खाने वाले मुँह बहुत ज्यादा ऐसा रिज़ल्ट हमें लोन लेना पड़ता है। ये लोन हम कहाँ से लेते है? इसकी पॉज़िटिव बहुत नेगेटिव पॉइंट्स क्या है ये?
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