गाय हमारे माता है
हम कहते है कि गाय हमारी माता है। और हमारी गौ माता पे ही अत्याचार हो रहे हैं गाय को भारत में वैदिक काल से ही एक विशेष स्थान दिया गया है। गाय को वैदिक काल की शुरुआत में ही आदान प्रदान एवं विनियम आदि के रूप में उपयोग में लाया जाने लगा और मानव की समृद्धि की गणना गो संख्या आधार पर करते थे। हिंदू धार्मिक की दृष्टि से भी गौ माता को पवित्र मानते हैं और इस गौ माता की हत्या को महापातक पापो मे आकी जाती है
गोहत्यां ब्रह्म हत्यां च करोति ह्यतिदेशिकीम्।
यो हिगच्छत्यगम्यां च यः स्त्री हत्यां करोति ।।
तेहमने और आपने तो कह दिया की गाय हमारी माता है। माता यानी मां, मां वो जो हमे पालती है वो माँ जो खाना खिलाती है वो मां जो दूध पिलाती है वो माँ जो पाल पोस कर हमें बड़ा बनती है। और उस तरफ वो मां यानी गौ माता जिसमें हम अत्याचार कर रहे हैं क्या इनको जीने का हक नहीं है हम सब तो कहते हैं कि गाय हमारी माता है सिर्फ महज एक नारा है जोकि कई सदियों से चला आ रहा है आखिर क्यों हम लोग वैदिक काल से ही गाय की पूजा करते आ रहे हैं कुछ ना कुछ तो कारण होगा अगर हम गौ संरक्षण पर बात करें तो हमारा देश व संरक्षण में सबसे आगे और (बीफ/ गौ मांस) के निर्यात और उद्योग में भी सबसे आगे है। कारण है। ये बड़े-बड़े राजनीतिक दल और संगठन जो इनका उपयोग कर छोड़ देते हैं। यानी जब चुनाव का समय आता है गाय हमारी माता है गौ संरक्षण के लिए ऐसा करेंगे संरक्षण के लिए वैसा करेंगे यह सिर्फ 1 महीने तक चलता है चुनाव खत्म गौ संरक्षण खत्म फिर गाय मर रहे हैं या मरने के गाय सड़कों पर आ रहे हैं आने दो गाय कट रहे हैं कटने दो यह उन लोगों के मुंह पर खड़ा तमाशा होना चाहिए जो लोग गायों में राजनीति कर है। इन लोगों को गाय से सिर्फ दो ही चीज चाहिए एक हो गया सुबह का दूध दूसरा हो गया चुनाव के वोट। आप समझ गए होंगे कि किसकी बात चल रही है पहले कहां भारत में गायों को भगवानों के रूप में देखा जाता था अब भारत में गायों को राजनीति के रूप में देखा जा रहे हैं।
हमने और आपने तो कह दिया की गाय हमारी माता है। माता यानी मां, मां वो जो हमे पालती है वो माँ जो खाना खिलाती है वो मां जो दूध पिलाती है वो माँ जो पाल पोस कर हमें बड़ा बनती है। और उस तरफ वो मां यानी गौ माता जिसमें हम अत्याचार कर रहे हैं क्या इनको जीने का हक नहीं है हम सब तो कहते हैं कि गाय हमारी माता है सिर्फ महज एक नारा है जोकि कई सदियों से चला आ रहा है आखिर क्यों हम लोग वैदिक काल से ही गाय की पूजा करते आ रहे हैं कुछ ना कुछ तो कारण होगा अगर हम गौ संरक्षण पर बात करें तो हमारा देश व संरक्षण में सबसे आगे और (बीफ/ गौ मांस) के निर्यात और उद्योग में भी सबसे आगे है। कारण है। ये बड़े-बड़े राजनीतिक दल और संगठन जो इनका उपयोग कर छोड़ देते हैं। यानी जब चुनाव का समय आता है गाय हमारी माता है गौ संरक्षण के लिए ऐसा करेंगे संरक्षण के लिए वैसा करेंगे यह सिर्फ 1 महीने तक चलता है चुनाव खत्म गौ संरक्षण खत्म फिर गाय मर रहे हैं या मरने के गाय सड़कों पर आ रहे हैं आने दो गाय कट रहे हैं कटने दो यह उन लोगों के मुंह पर खड़ा तमाशा होना चाहिए जो लोग गायों में राजनीति करते है। इन लोगों को गाय से सिर्फ दो ही चीज चाहिए एक हो गया सुबह का दूध दूसरा हो गया चुनाव के वोट। आप समझ गए होंगे कि किसकी बात चल रही है पहले कहां भारत में गायों को भगवानों के रूप में देखा जाता था अब भारत में गायों को राजनीति के रूप में देखा जा रहे हैं।
चलो आंकड़ों से आपको रूबरू कराते है। एक आंकड़े के अनुसार वित्तीय वर्ष 2013-14 में बीफ निर्यात 13,65,643 मीट्रिक टन था जो कि वित्त वर्ष 2014-15 में बीफ का निर्यात बढ़कर 14,75,540 मीट्रिक रहा वित्त वर्ष 2016-17 मे बीफ का निर्यात 13,30,013 मीट्रिक टन रहा और 2017-18 मे बढ़कर 13,48,225 मीट्रिक हो गया और वर्ष 2018-19 की अप्रैल-फरवरी अवधि के दौरान ही 22,925 करोड़़ों रुपए के 11.2 लाख टन बीफ का निर्यात किया गया (APEDA)ने कहा कि पिछले वर्ष में जो इसी समय अवधि में ही 23,800 करोड़़ रुपए मूल्य केे 12.4 लाख टन बीफ का निर्यात करा था वर्ष 2020-21 तक भारत मेंं बिफ का निर्यात कारोबार 40000 करोड़ रुपए पहुंचने का अनुमान है और(ICRA) केेे अनुसार देश मेंं 2007-08 से बीफ का कारोबार 29% फ़ीसदी की दर से बढ़ा रहा है आप समझ ही गए होंगे भारत में बीफ का कारोबार कितने जोर जोरों से चल रहा है। अगर हम केवल बीफ की ही बात करें तो (यूनाइटेड स्टेट डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर ) की रिपोर्ट केेे अनुसार भारत में प्रतिवर्ष (18,50,000) मीट्रिक टन बीफ का निर्यात किया जाता है और इस के संदर्भ में ब्राजील के साथ पहलेेेे स्थान पर है क्या आपको पता है वर्ष 2017 मे भारत में कुल बीफ निर्यात के कारोबार में ही 3 अरब डॉलर से भी अधिक का कारोबार किया पूरी दुनिया में बीफ निर्यात का सिर्फ 58.7% फ़ीसदी हिस्सा सिर्फ भारत का ही है जिस देश में गौ हत्या व बीफ के मुद्दे पर भीड़ और हिंसा की शर्मनाक घटनाएं दिन प्रतिदिन घटती जा रही हैै उसी देश का ही सबसे बड़ा और सबसे आश्चर्यजनक सच्चाई ये है कि हमारे देश सालाना बीफ के कारोबार में करीब-करीब 27 हजार करोड़ रुपए का कारोबार करते हैं (अमेरिका एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट एंड डिपार्टमेंट) के रिपोर्ट के अनुसार यह दावा किया गया कि 2014 जो सरकार बननेेेे के बाद बीफ निर्यात मैं बहुत बढ़ोतरी हुई है शायद अब आपको पता चल गया होगा कि भारत में कितना गौ संरक्षण होता है और हम भाइयों को कितना पूजते व मानते हैं और कितनी सेवा करते हैं अगर हम इस गौमाता को मानते हो और पूजते है तो आज हम गाय को मारते तड़पते नहीं देखते। इस सब के पीछे कारण ही हम जैसे लोग हैं जो गायों को पालते हैं आलम तो यह है कि जो गाय सड़कों पर आते हैं बूचड़खाने में जाते हैं इन सब के पीछे कारण ही हम जैसे लोग हैं जो गायों को पालते है। इन सभी कारणों को समझने के लिए हमें गाय की गणित को समझना पड़ेगा तो गाय की गणित किस प्रकार है कि
चलो हम मानते हैं। कि एक गाय को रखने में 1 महीने खर्चा कितना होता होगा ज्यादा से ज्यादा 2000 ₹ का खर्चा आता है अगर वो बछिया दे दी है तो उस बच्चे का खर्चा ज्यादा से ज्यादा 500 या 1000 रुपए प्रति महीने का खर्च उस बच्चे में होता है यदि हम गाय और गाय की बच्ची का महीने भर का खर्च देखे तो करीब-करीब 2500 से 3000 रुपये का खर्च होता है अगर आपकी गाय अच्छी किस्म की हो और हाइब्रिड हो तो आपकी गाय अच्छी खासी दूध देगी चलो मानते हैं कि गाय तीन टाइप की होती हैं पहले टाइप की गाय जो 2 से 4 दूध देती है और दूसरे टाइप की गाय जो 4 से 6 लीटर दूध देती है इसी टाइप की गाय जो 6 से 10 लीटर दूध देती है अगर हम 1 लीटर दूध 30 से 35 रुपए लीटर दूध को बेचते है तो पहले टाइप की गाय 4 लीटर दूध देती है तो ₹4200 1 महीने में गाय कमाती है दूसरी टाइप की गाय जो 5 से 6 लीटर दूध देती है वो प्रति महीने 5250 से 6300 रुपए गाय कमाती है और तीसरे टाइप की गाय जो 6 से 10 लीटर दूध देती है वो गाय प्रति महीने 6300 से 10500 रुपए प्रति महीने गाय कमाती है
एक महीने में गाय इतना कमाके देती है अगर आप चाहे तो |
अगर आप चाहे तो दूध आलावा भी अन्य निर्माण से गाय इतना कमाके दे है |
एक महीने में गाय इतना कमाके देती है जिसके कारण गाय सड़को पे आ जाती है |
ये तो पहले वर्ष का है। यदि दूसरे वर्ष मैं गाय फिर से बछिया देती है। तो उस बछिये का खर्चा 500 रुपए प्रति महीने होगा और गाय कमाके देती है 4200 रुपये उसमें से 2500 रुपए गाय में खर्च हो गए तो उस में से 1700 ₹ बचते हैं अब क्या होता है कि गाय बूढ़ी हो गई हो तो उसके बदले में आप नई गाय लाएंगे आपकी नई गाय तो दूध दे रही है। पर पुरानी गाय दूध नहीं दे रही है। आपकी नई गाय का खर्चा 2500 रुपये है पर आपकी पुरानी गाय दूध नहीं दे रही है पर उसका खर्चा 2500 रूपये जिओ का त्यों चलते जा रहा है वह तो कुछ कमाके नहीं दे रही है तो यहां से लोगों को घाटा आना शुरू हो जाता है जितना गाय कमाके दे रही है उससे ज्यादा गाय पर लग जा रहा है इसी लिए बूढ़ी गाय सड़कों पर आ जाती है तो ये है गाय की गणित और इसी चक्कर में जो सारी बेचारी वह बेसहारा जिसे आप लोग आवारा कहते हैं वो सड़कों में दिखती है इसीलिए कहते हैं कि ये जो डेयरी उद्योग है यह बहुत ही क्रूरता वाला उद्योग है क्योंकि इसमें तो मुनाफा कमाने के लिए तो गाय को तो हमेशा घाटा ही रहता है और कई बुद्धिजीवी लोगों का कहना या मानना है कि आप तो इस डेयरी उद्योग के पीछे ही पड़ गए हो अगर हम लोग दूध ना ले तो बेचारी गाय जो घरों पर है वो किसी ना किसी कारण से सड़कों पर आ ही जाएगी वो तो सिर्फ एक ही बार आएंगे ना क्या आपको पता है कि सिर्फ बीफ के उद्योग और व्यापार मैं और तो और चमड़े के निर्यात में अभी हमारा देश सबसे ऊपर है तो वह इसलिए है ना की गाय काट रहे हैं और भैंस कट रहे हैं तो कम से कम डेयरी उद्योग वाले बछड़ा पैदा करना बंद करेंगे और ये जो गाय पालने वाली बछड़ा पैदा करना बंद कर दें कि मे यह नहीं कह रहा हूं की आप बछड़ा पैदा करना बिल्कुल ही बंद कर दें मैं तो कह रहा हूं कि जो गाय हर साल बछड़ा दे रही है उसके बजाएं 15 महीने या 20 महीने में बछड़ा पैदा करें
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आखर इन का क्या कसूर है ये तो गाय |
तो कम से कम यह एक ही बार होगा न ये टॉर्चर यह थोड़ी ना है कि साल दर साल गाय तड़प रहे हैं भैंस कट रहे हैं बछड़े भूखे मर रहे हैं ये तो हर साल हो रहा है हर साल होने से तो अच्छा है ना ये सिर्फ एक ही बार हो ऐसा तो नहीं हो सकता है कि कुदरत के बनाए हुए चक्र को मैं अपने हिसाब से चला सकूं कुदरत ने जिस प्रकार से अपना चक्र बनाया है वो तो उसी प्रकार से चलेगा ये तो कुदरत का नियम है जो इस धरती में आया उसे इस धरती से जाना ही होगा यानी सबका एक समय निश्चित है तो हम ऐसा तो ना करें.........?
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Waaaa Bhai liya likha hai
जवाब देंहटाएंHello
जवाब देंहटाएंek bam shi likha hai
जवाब देंहटाएंएक टिप्पणी भेजें
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