जागर (jaagar)
जागर देवभूमि उत्तराखंड के दोनों मंडलों में गाए जाने वाला एक लोकगीत है और पौराणिक धर्म व पूर्वजों के समय से चली आ रही यह पूजा जिसके एक रूप को जागर भी कहते हैं जागर यानी एक तरीका जिसकी सहायता से हम देवी देवताओं के अनिष्टकारी शक्ति को मनौती के लिए उन देवी देवताओं का आवाहन करने के लिए जागर लगाई जाती है
जब देवी- देवताओ का आवहन किया जाता है तो स्थानिय देवी देवताओ से निवेदन करते है कि रोग -व्यार्धि से मुक्ति और अनिष्ट से रक्षा व सुख शांति हेतु तथा संकट आने पर हमारी रक्षा करे और हमे आगे का रास्ता दिखाए और हमें न्याय मिल सके
जागर का इतिहास
जागर क्या है...?
जागर का अर्थ
जागर meaning in इंग्लिश = Divine call (ईश्वरीय पुकार)
जागर mean in hindi = जागना और जगाना व देवी देवताओं का आवाहन करना
जागर शब्द कहा से आया.......?
जागर शब्द। ये संस्कृत का शब्द है जोकि कालिदास के रंधुश में रात्रिंनागहरो के दिवाशयः 9 /35 और महाभारत के पर्व प्रसंग में भी जागर शब्द का जिक्र आया है और रामायण जैसे महा काव्यों में भी देवी देवता यह गीत गाते थे और जिस से भगवान का आव्हन कर कारनामों का वर्णन होता है
जागर का विवरण
जागर गीत जागर का एक महत्वपूर्ण अंग होता है जिस से जगरी गान गाकर देवी -देवताओ का आव्हन व उदबोधन तथा अवतरण के लिए उनका गुणगान गाये जाते है इसमें जगरी अपने भाषा के माध्यम से विनती करता है इसमें देवी देवता की विशेष जीवनी से संबंधी काहनियो व मह्त्वपूण तथ्थों एवं जगारी के द्वारा जोड़े जाने वाले अन्याय प्रक्षेप का एक अद्भुद व संपुटीकरण होती है जो जगरी अपने कल्पना की शक्ति के आधार पर अलग अलग रूप में धारण करते रहते है इस लिए जागर गाथा में देवी -देवताओ से संबंध गाथा के अनेक कथानत्व होते है और पाए जाते है
जागर लगाते समय जगरी के साथ दो या चार भगार या हयोवर इनके साथ जागर को गाते समय सहयता करते है और कुमाऊ मंडल में जागर गाथा एक दूसरे या दो- दो लोगो के दाल में विभक्त होकर उनमे फ़ाग के रूप में भी गाया जाता है जिसे एक को फगार व दूसरे को भगार ( जागर में जागर की गाथा को गाने वाला प्रमुख गायक के साथ गाने वाले सहायक को भगार कहते है या कहलाता है
जागर में जागर की कहानी को बताने वाले तथा इस जागर को करवाने वाले तीन मुख्य लोग होते है तथा जागर में इन प्रमुख भूमिका का परिचित होना आवश्य्क है
जगरिया
ङँगरिया
स्योनाइ
यानि जिस यक्ति के घर में जागर व बैसी का आयोजना किया जाता है उस यक्ति के घर में सबसे बड़े व बुजुर्ग और उनकी पत्नी को स्योकार -स्योनाइ के नाम से बुलाया जाता है
जगर और बैसी लगते समय जब देवी -देवताओ अवतार होते है तो उस समय या उस परिवार में जो कोई भी दुःखी हो व समस्याग्रस्त यक्ति अपनी शंका का समाधान व दुःख निवार्ण और समस्या का हल पाने के लिए अपने घर से कुछ चावल देवी -देवताओ के थाली में रखते है उस चावल 'दाणी ' के अपने हाथ में लेकर देवी -देवता उस दुखी यक्ति को दुःख का निवार्ण अपने भाषा(शब्द ) में बताते है इस लिए अवतारित देवी -देवता स्योकार -स्योनाइ शब्द का इस्तमाल करते है
जागर देव भूमि उत्तराखंड की अभिन्न सांस्कृतिक अंग है और इस पूजा को कुमाऊ मे जागर के नाम से जाना जाता तथा गढ़वाल मे धडियाला के नाम से जाना जाता है और निम्न नाम से भी जाना जाता है जैसे -:
1 जागर
2 बैसी
3 रख्याल
4 जागा और आदि
जागर को दो रूप मे आयोजन किया जाता है
1 बाहरी जागर
2 भीतरी जागर
बाहरी जागर यह जागर आमतौर पर बहुत विस्तार पूर्वक होता है इस बाहरी जागर मे डंगरियो की संख्या पांच या पांच से अधिक होती है और इस बाहरी जागर की बात करे तो इस की समय अवधी एक दिन से लेकर तीन दिन, पांच दिन, साथ दिन, ग्यारह दिन, बाईस दिन की बैसी से लेकर यह जागर 3 महीने और 6 महीने तक चलती है जागर को लगाने से पहले देवी देवताओं का अवतण करने वाले को आमंत्रित निमंत्रण दिया जाता है जैसे कि जगरिया,डंगरी,पस्वा और समस्त क्षेत्र के लोगों को भी आमंत्रित किया जाता है जागर लगाने के लिए एक मुख्य स्थान पर (अग्नि का कुंड) यानी एक धुणी लगाई जाती है और उस धुणी की सुबह शाम धूपबत्ती व पूजा किया जाता है धुणी के सामने की ओर डंगरीयों के लिए एक मुख्य स्थान लगाया जाता है और इसी स्थान के सामने की ओर जिन्हें हम जगरी या 'दास ' बोलते हैं यानी गाथा गायक के लिए एक स्थान लगाया जाता है और अन्य स्थानों पर क्षेत्र के लोग बैठते है।
2 भीतरी जागर
जिसके नाम से ही पता चल रहा है की ये जागर घर के अन्दर लगती है ये जागर बाहरी जागर से भिन्न तथा अधिक विस्तारित नहीं होता है और ये जागर काफी छोटी होती है और इस जागर की विधि विधान की बात करें तो काफी छोटी और ना के बराबर होती है और इस जागर की समय अवधि के बारे में जाने एक या दो दिन से अधिक नहीं होती है इस भीतरी जागर को भवल नाथ जज्यू के नाम से भी जाना जाता है सबसे मुख्य बात इस जागर की वाद्य यंत्र की बात करें तो हम जागर को थाली व डमरु से ही गाया व लगाया जाता है
Jabar main agar koi nacne se mana kar de tho kya hota hai
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