कुमाऊं मंडल की उत्पत्ति | एवं परिचय

       
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                 उत्तराखंड का पूर्वी भाग जिसमें वर्तमान में अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चंपावतनैनीताल एवं उत्तमसिंह नगर जनपद शामिल है कुमाऊ के नाम से जाने जाते हैं|

                  स्कनद  पुराण के अनुसार इस भूभाग के अनुसार इसे मनसखंड के नाम से जाना जाता था इसी भूभाग से कैलाश मानसरोवर जाने का सुगम मार्ग हैं|कुमूँ  इस क्षेत्र का प्रचलित नाम रहा है मान्यता है कि इस भूभाग में पश्चिम एशिया से खास जाति के लोग का प्रवास हुआ था| उनका प्राचीन निवास क्षेत्र कुम्मू था | इसी के आधार पर  इस क्षेत्र का नाम कुमूँ  पड़ा (कुमाऊं को कुर्मााँचल   या  कुर्मपुष्ट भी कहा जाता है)
             कुमाऊं में नागा जाति के निवासियों को प्रधानता मिलती है जैसे :बेरीनाग ,नागदेवधौलनाग, कालीनाग, कर्कोटकनाग जैसे कई स्थान इस प्रमाण को रेखांकित करते हैं  कुमाऊं में चंद्रवंश के राजाओं का शासन रहा है सोमचंद इस वंश का प्रथम राजा हुआ करता था जो सन 700 ईसवी में यह गद्दी पर आसीन हुआ चंपावत के राजबूंगा इनकी राजधानी रही है| राजा बीणा चंद्र इस वंश का सबसे कमजोर राजा साबित हुआ जिसे खस  राजाओं ने प्राप्त कर कुमाऊं में अपना राज्य स्थापित कर दिया| 200 वर्षों तक कुमाऊं में खस राजाओं का शासन रहा इनके अत्याचारों से  त्रस्द होकर कुवर वीरचंद्र ने नेपाल जाकर गोरखाऔ से मदद लेकर खस राजा पर आक्रमण कर दिया इस प्रकार पुनः चंद्रवंश का कुमाऊं में राज्य स्थापित हो गया चंद्र राजाओ  में कीर्ति चंद्र सबसे लोकप्रिय एवं प्रतापी राजा के रूप में जाने जाते थे कुमाऊँ पर कइ बाहर मुगलों के भी आक्रमण हुए थे|

        नवाब अली मोहम्मदखाँ  ने (अल्मोड़ा )के निकट कई मंदिरों और मूर्तियों को खंडित कर दिया था| परंतु प्रतिकूल जलवायु के कारण वे यहां टिक नहीं पाए| कुमाऊं का अंतिम राजा महेंद्र चंद्र हुआ| जो अपने गोरखाओ से युद्ध में वह अपना सत्ता संभाल नहीं पाया और वह क्षेत्र गोरखाओ के अधीन हो गया|

        सन 1915 में सिंगोली की संधि के बाद ब्रिटिश गढ़वाल तथा कुमाऊं में दोनों को मिलाकर कुमाऊं प्रोविन्स' का गठन किया गया|

 इस तरह से कुमाऊं, टिहरी रियासत और देहरादून उत्तराखंड की  तीन इकाइयों में हो गई बाद में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा कुमाऊं को 2 जनपदों में बांट दिया गया कुमाऊं तथा ब्रिटिश गढ़वाल बाद मैं ही एक जनपद और तराई नाम से बना दिया गया 

gagas ghati
गगास घाटी

प्रकृति ने कुमाऊं को मुक्तहस्त से प्राकृतिक सुंदरता के उपहार प्रदान किए हैं हरे-भरे जंगल यहां  समृद्ध  के पर्याय हैं (गरुण घाट, सोमेश्वर घाटी, चौखुटिया, गगास घाटी, गिनाई घाटी)यहां की समृद्धि के प्रतीक हैं

 
    
गरुण घाट,
गरुण घाट,
               


धन्यवाद

       
               

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