द्वाराहाट का इतिहास

द्वाराहाट -: उत्तराखंड का एक छोटा सा क्षेत्र जो कि अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट ब्लॉक स्तिथ है और यह क्षेत्र जाना जाता है प्रसिद्ध स्थल और मंदिरों की नगरी द्वाराहाट के नाम से जाना जाता है|

द्वाराहाट का इतिहास

द्वाराहाट का नामकरण

इतिहास के अनुसार द्वाराहाट नगर का नामकरण वैराटपट्टन तथा लखनपुरऔर ऐसे बहुत नामों से जाना जाता रहा है

द्वाराहाट की विशेताए

द्वाराहाट की एक विशेष खासियत है। जो कि द्वाराहाट में लगने वाला एक मेल है।जो कि द्वाराहाट को दीपावली की तरह जगमगाता देता है। वो है स्याल्दे कौतिक |


द्वाराहाट का इतिहास

द्वाराहाट की कुछ रहस्य के साथ हम आगे की ओर चलते हैं द्वाराहाट बद्री केदार को जाने वाले तीर्थ मार्ग पर पाली की मलला दोरा पट्टी में द्वाराहाट का ऐतिहासिक स्थल अवस्थित है । ,लोहबा,श्री नगर,बागेश्वर तथा अल्मोड़ा के मार्ग यहाँ से होकर गुजरते है। समतल-शोभनीय भूमि पर बसा यह स्थल कातियुरों की पाली पछाऊ शाखा की राजघानी था। कहते है।


भटकोट मे उसका दुर्ग था तथा द्वाराहाट में उनके मंदिर न्यायालय आदि थे चाञ्चरी(चन्द्रगिरी) पहाड़ी पर वर्तमान थर्प को उनकी राजभवन का ध्वंसावशेष बताया जाता है। यह राजभवन तथा उसके निकटस्थ 'कचहरीदेवालय-समूह' पूर्व की ओर अवस्थित है।'थर्प' के नीचे कालिकादेवी का अर्चाधीन मन्दिर है।राजभवनों के समीप 'बूँगा' वा 'राजबूगा'नामक बास्तियाँ पूर्वकालीन राजाओं के अधीनस्थ सेनापतियों ,राजपदाधिकारियो अथवा सम्भ्रान्त राजपूतों की विदित होती है।..




द्वाराहाट के तीर्थेस्थलो का इतिहास


कातियुरों की जो शाखा 'द्वार' मे शासन करती थी उसका समस्त रामगङ्ग। -घाटी पर अधिकार था। द्वाराहाट मे कातियुर शासकों द्वारा निर्मित कुल तीस मध्यकालीन देवालय है जिनमें से अनेक रोहिला आकान्ताओ द्वारा ध्वस्त किये गये बताये जाते है। यहाँ अवस्थित देवालथो के आठ समूह हैै :



(1) 'ध्वज मंदिर' ( गुजर देवाल) जो कि द्वाराहाट की सर्वाधिक कलात्मक वास्तु रचना है| इसमें गज -वल्लरी, मिथुन एवं देव का चित्रण बड़ी से दक्षता से किया गया हैै
(2) रतनदेवल के सात मन्दिर,
(3) थर्प की ओर कचहरी-समूह के बारह मन्दिर
(4) मन्या वा मनियान-समूह,
(5) मृत्युञ्जय-समूह,
(6) अर्चाधीन बदरीनाथ मन्दिर, जिसे एटकिन्सन ने विद्यमान मन्दिरों में "सबसे महत्त्वपूर्ण" बताया
(7) कुटुम्बड़ी-समूह,
(8) खीरो के वाम तट पर बणदेवाल।


इन मन्दिरों की प्रधान विशिष्टताएँ हैं

(1) समस्त देवालय नितान्त स्थानीय बालुकाश्म से निर्मित हैं,
(2) गूजर देवाल को छोड़कर, सभी उत्तर भारतीय 'शिखर-शैली' के हैं,
(3) प्रत्येक मन्दिर-समूह के साथ एक 'नौला' (वापी), कूप अथवा पोखर (पुष्करिणी) अवश्य बना है,
(4) वर्तमान में सभी देवाल मूर्ति-शून्य हैं।
(5) अधिकांश देवालय वैष्णव एवं शैव धर्म से सम्बन्धित हैं। अपवाद रूप में, एक देवालय के द्वार-ललाट पर ध्यानी बुद्ध अथवा जैन प्रतिमा तथा एक शिला पर स्वतन्त्र रूप से उकेरी गयी विशाल कुबेरमूर्ति पायी गयी है

स्यालदे - कौतिक का इतिहास

द्वाराहाट के निकट ही पूर्व राजाओं द्वारा निर्मित सुन्दर 'स्यालदे-पोखर' है जिसके समीप शीतलादेवी के मन्दिर में 'स्यालदे बिखोती' नाम से वैशाखी का मेला लगता है। मेले के अवसर पर, ब्रिटिश काल तक यहाँ 'बगवाली' का कृत्रिम युद्ध स्यालदे जाति के राजपूत दलों में होता था। इसमें बॅगा के राजपूत वीरों का युद्ध- कौशल देखने को मिलता था। 'स्यालदे-पोखर' के समीप एक विशिष्ट शैली के देवाल के भग्नावशेष का उल्लेख एटकिन्सन (1886, 'द्वाराहाट' शीर्षक) ने किया है। इस जलाशय के उत्तर में कोटकाँगड़ा देवी का मन्दिर अर्चाधीन है।

द्वाराहाट के देवालयों एवं नौलों पर उत्कीर्ण कातियुरकालीन कुछ शिलालेख इस प्रकार हैं :-अनन्तपालदेव का कालिकामूर्ति-लेख (शाके 1044 /1122 ई०), थल कुर्क हरगौरीमूर्ति-लेख (शाके 1065), द्रोणागिरि शिलालेख, मूलतः द्वाराहाट से स्थानान्तरित (शाके 1103 ), बदरीनाथ-समूह का गणेशमूर्ति-लेख (शाके 1103 ), बदरीनाथ-समूह का विष्णुमूर्ति-लेख (शाके 1105 ), थल कुर्क वापी-लेख (शाके 1136 , शुक्लपक्ष 7 ), गणाई समीपवर्ती गोरिल मं०-लेख (शाके 1141 ), गुर्जरदेव का कालिकामूर्ति-लेख (शाके 1176 ), मृत्युञ्जय मं०-लेख, उसमें विजयदेव लिहदेव का नाम (शाके 1211 ), राजा सुधारदेव का दूनागिरि देवीमूर्ति-लेख (शाके 1238 ), बदरीनाथ मं०-लेख (शाके 1240 ), राजा भानदेव का दानलेख (शाके 1256 ), राजा सोमदेव का वापी-लेख (शाके 1271 ), राजा सोमदेव का गणाई गणेशमूर्ति-लेख (शाके 1276 /1354 ई०)।

राजा दीपचन्द के ताम्र० (शाके 1377 ) को छोड़कर, जिसमें गढ़देश-स्थित तीर्थ बदरीनाथ ज्यू को पूर्व समर्पित भूमि का सत्यापन है, यहाँ चन्दों के अग्रहारों का अभाव है।



धन्यवाद


जय ईस्ट गोरिया



4 Comments

if you have any dougth let me know

Post a Comment

if you have any dougth let me know

Previous Post Next Post
Post ADS 1
Post ADS 1